Friday, June 1, 2012

EK "NRI" KI KAHANI

 NRI's story.....

ना इधर के रहे
ना उधर के रहे
बिच में लटकते रहे

ना India को भुला सके
ना America अपना सके
इंडियन अमेरिकन बन के काम चलाते रहे

... ना गुजराती को छोड़ सके
ना अंग्रेजी को पकड़ सके
देसी accent में गोरो को confuse करते रहे

ना turkey को पका सके
ना ग्रेवी बना सके
मुर्गी को दम देके thanks giving मनाते रहे

ना Christmas tree बना सके
ना बच्चो को समजा सके
दिवाली पर Santa बनके तोहफे बाँटते रहे

ना shorts पहेन सके
ना सलवार कमीज़ छोड़ सके
Jeans पर कुरता और स्नीकर्स पहेन कर इतराते रहे

ना नाश्ते में Donut खा सके
ना खिचड़ी कढी को भुला सके
Pizza पर मिर्च छिड़ककर मज़ा लेते रहे

ना गरमी को भुला सके
ना Snow को अपना सके
खिड़की से सूरज को देखकर Beautiful Day कहेते रहे

अब आयी बारी Baroda जाने की तो
हाथ में पानी का शीशा लेकर चलते रहे

लेकिन वहां पर.............

ना भेल पूरी खा सके
ना लस्सी पी सके
पेट के दर्द से तड़पते रहे
हरड़े और एसबगुल से काम चलाते रहे

ना मच्छर से भाग सके
ना खुजली को रोक सके
Cream से दर्दो को छुपाते रहे

ना फकीरों से भाग सके
ना Dollar को छुपा सके
नोकरो से पीछा छुड़ाकर भागते रहे

ना इधर के रहे
ना उधर के रहे
कमबख्त कही के ना रहे

बस "ABCD (American Born Confused Desi) "

औलाद को और Confuse बनाते रहे
 
This is a mail forward I recieved and am sharing it here.
 
 

Comments (12)

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How true !
Swadesh jaisa kuch bhi nahi!
1 reply · active 681 weeks ago
True Simran, when you are away from your country, you feel nostalgic about everything..
Jo bhi hai..jaisa bhi hai ..apna desh hai..we love our country.
oh i wish you posted this in english.. can't read hindi. :-(
1 reply · active 660 weeks ago
Awwwwe .. :(
Wish I could translate it for you..
thoughtful poem
1 reply · active 681 weeks ago
Thanks for dropping by..
Yes! sad but true. ;(
1 reply · active 681 weeks ago
ekdam sahi hai shobha......
1 reply · active 678 weeks ago
Bilkul .. Bhavna.
how true Shoba ji

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